अन‍िद्रा से मुक्ति दिलाएगा ‘योग निद्रा’ योग

अन‍िद्रा से मुक्ति दिलाएगा ‘योग निद्रा’ योग

साधकों को योग निद्रा का अभ्‍यास करवाते स्‍वामी निरंजनानंद सरस्‍वती 

भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी की वजह से अनिद्रा के शिकार लोगों के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एक राहत भरी खबर है। एम्स के अध्ययन से साबित हुआ है कि दुनिया भर में प्रचलित “योग निद्रा” योग वाकई अनिद्रा के शिकार लोगों के लिए बेहद लाभकारी है। लिहाजा एम्स ने अनुशंसा की है कि इस योग का प्रयोग अनिद्रा के मरीजों के लिए किया जाना चाहिए। अध्ययन से पता चला कि अनिद्रा के पुराने रोगियों के लिए भी यह योग बेहद कारगर है। 

एम्स का संभवत: यह पहला अध्ययन है, जिसके लिए विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की बहुचर्चित पुस्तक “योग निद्रा” को आधार बनाकर अनिद्रा के कारगर इलाज के लिए अध्ययन किया गया है। इसके लिए दो मरीजों का चयन किया गया था। इनमें एक साठ वर्षीय महिला और एक 78 वर्षीय पुरुष थे। एम्स के फिज़ियोलॉजी विभाग के दो चिकित्सकों डॉ. करुणा दत्ता व डॉ. एचएन मल्लिक और न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बिहार योग विद्यालय के योग प्रशिक्षकों की मदद से अध्ययन को अंजाम दिया।

पहले के अध्ययनों से भी साबित हो चुका था कि “योग-निद्रा” योग मरीजों पर तात्कालित तौर पर नींद की दवा अल्प्राजोलाम जैसा असर करता है। साथ ही लंबे समय में न केवल अनिद्रा से मुक्ति मिलती है, बल्कि इससे होने वाली घातक बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है। स्मरण-शक्ति बढ़ाने में इस योग विधि का जबाव नहीं। एक अध्य्यन के मुताबिक नींद की बीमारी जैसे अनिद्रा और स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोगों को स्ट्रोक आने की संभावना उन लोगों से ज्यादा है जो कि सामान्य नींद लेते है। यह निष्कर्ष 'न्यूरोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस आलोक में भी “योग-निद्रा” योग को बेहद असरदार माना गया।

वैसे तो बीते चार दशकों में हृदय रोग से लेकर कैंसर तक की बीमारियों पर “योग निद्रा” योग के प्रभावों का अध्ययन दुनिया भर में किया जाता रहा है। ज्यादातर अध्ययन परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित योग रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किए गए। आस्ट्रेलिया के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ ए. मीरेस के शोध से पता चला कि “योग निद्रा” योग के अभ्यास से मलाशय के कैंसर रोगी में कैंसर घटने लगता है और स्टेज दो में पहुंच चुके फेफड़े के कैंसर का बढ़ना रुक जाता है।

अमेरिका के रेडियोथैरपिस्ट डॉ.ओ.सी. सीमोंटन ने रेडिएशन थैरेपी से गुजर रहे कैंसर के एक रोगी को विशेष प्रकार से “योग निद्रा” योग का अभ्यास कराया तो पाया कि रोगी का जीवन काल बढ़ गया। दरअसल, कैंसर के उस रोगी को निर्देश था कि वह “योग निद्रा” योग के दौरान कल्पना करे कि उसका सफेद रक्त जीवाणु कैंसर के जीवाणुओं पर हमला करके उन्हें नष्ट कर रहा है।

इसी तरह अमेरिका के पिट्सबर्ग स्थित प्रेसपाइटेरियन यूनिवर्सिटी क़ॉलेज अस्पताल में “योग निद्रा” योग की दर्द नियंत्रक क्षमता पर अध्ययन किया गया। इसके लिए विभिन्न प्रकार के दर्द से पीड़ित 54 रोगियों का चयन किया गया था। दो तिहाई लोग सरदर्द, माइग्रेन और मांसपेशियों के तनाव से पीड़ित थे। बाकी लोग पेप्टिक अल्सर, स्पॉन्‍डलाइटिस औऱ स्लिप डिस्क के दर्द से पीड़ित थे। इन सभी रोगियों को छह सप्ताह तक लगातार “योग निद्रा” योग का अभ्यास कराया गया। मरीजों ने अस्सी फीसदी तक दर्द ठीक हो जाने का अनुभव किया।

अब तक विभिन्न अध्ययनों से साबित हो चुका है कि “योग निद्रा” योग हड्डियों में डी-जेनरेटिव बदलाव और मानसिक तनाव संबंधी बीमारियों जैसे, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, आर्थराइटिस, दमा, पेप्टिक अल्सर, माइग्रेन आदि के उपचार में मददगार है। अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुए अध्ययन में देखा गया कि “योग निद्रा” योग के नियमित अभ्यास से रक्तचाप में आई कमी के दूरगामी प्रभाव हुए। यानी लंबे समय तक रक्तचाप नियंत्रण में रहा।  

आधुनिक शिक्षा पद्धति में भी “योग निद्रा” योग चमत्कारिक असर देखा गया है। बुल्गारिया स्थित इंस्टीच्यूट ऑफ सजेस्टोपेडी इनसोफिया में “योग निद्रा” योग का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में नया वातावरण तैयार करने और ज्ञान अर्जन के लिए किया जाता है। इस संस्थान के संस्थापक डॉ जॉर्जी लोजानोव ने एक विद्यार्थी को योग निद्रा के जरिए विदेशी भाषा सीखाकर उसका प्रदर्शन किया था। 

कुछ ऐसा ही प्रयोग फ्लोरिया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने किया। उन्होंने रूसी संज्ञाओं को उनके अंग्रेजी समानार्थी शब्दों के साथ रिकार्ड कर योग निद्रा अभ्यास के दौरान नींद में हो गए बीस विद्यार्थियों को पांच दिनों तक सुनाया। इनमें से किसी विद्यार्थी को रूसी भाषा का ज्ञान नहीं था। इस दौरान ईईजी मशीन से मस्तिष्क की क्रियाविधि का परीक्षण किया गया तो साफ पता चला कि सभी विद्यार्थी सामान्य जागृत अवस्था में नहीं थे, बल्कि अंतर्मुखी हो गए थे। उनमें औसत स्मरण-शक्ति 13 फीसदी और अधिकतम 30 फीसदी थी। शुरूआती तीन रातों में स्मरण-शक्ति दस फीसदी थी। इससे पता चला कि नींद में सीखने की प्रक्रिया समय के साथ तेज हो रही है।

“योग निद्रा”  तंत्रशास्त्र से लिया गया एक प्रभावशाली योग है, जिसमें अभ्यासी अंतराभिमुख होकर बाह्य अनुभवों से दूर जाकर विश्रांति की अवस्था तक पहुंच जाता है। परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने तंत्रशास्त्र में वर्णित न्यास पद्धति के गुह्य ज्ञान में शोध कर इस योग का सरल किन्तु अत्यंत प्रभावशाली तकनीक को जन्म दिया था। इसके बाद इसका सबसे पहला प्रयोग अपने ही छोटे से शिष्य पर किया, जो पूरी तरह सफल रहा। उनके उस शिष्य का नाम परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती है, जो उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी हैं। दो साल पहले ही योग के क्षेत्र में विलक्षण योगदान के लिए उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपना भौतिक शरीर त्यागने से पहले सत्संग के दौरान कहा था, “मैं अपने आश्रम में संन्यास लेने के लिए आए निरंजन को स्कूल भेजना चाहता था। पर वह इसके लिए तैयार न हुआ। तब मैंने इस पर योग-निद्रा का प्रयोग करने का निर्णय किया। मैं उसके सोने से तीस मिनट बाद उसके पास बैठकर गीता के पंद्रहवें अध्याय का पाठ करता। सुबह वह सोकर उठता तो उससे वही अध्याय पढ़वाता। एक सप्ताह के अभ्यास से उसे पूरा अध्याय कंठस्थ हो गया था। इसके बाद तो श्रीमद्भागवत गीता, उपनिषद्, बाइबिल, कुरान, इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत जो कुछ मुझे आता था, उसे योग-निद्रा के जरिए ही सिखाया। मुझे हर बार सफलता मिली। वह अब ग्यारह भाषाएं बोलता है। अंग्रेजी में मुझसे बेहतर लिखता है व व्याख्यान देता है। उसे संपूर्ण शिक्षा दो वर्षों की अवधि में मिली। स्कूल तो कभी गया ही नहीं।”

‘योग निद्रा’ योग पर हुए अनुसंधानों के चमत्कारिक नतीजे सामने आने के साथ ही यह योग भारत ही नहीं, बल्कि विकसित देशों में भी बेहद लोकप्रिय हो गया है। इस योग का उपयोग न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हो रहा है बल्कि यह शिक्षा का भी असरदार माध्यम बना है। जर्मनी के स्कूलों में “योग-निद्रा” योग के जरिए छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। वहां “योग-निद्रा” पुस्तक को सन् 2013 में बारहवीं के सिलेबस में शामिल किया जा चुका है।

‘योग निद्रा’ योग परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की ओर से दुनिया को दिया गया अमूल्य उपहार है। उन्होंने प्रत्याहार से ‘योग निद्रा’ की विधि विकसित करके दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया था। अपने लंबे अनुसंधानों और अनुभवों से साबित कर दिया कि ‘योग निद्रा’ के अभ्यास से संकल्प-शक्ति को जागृत कर आचार-विचार, दृष्टिकोण, भावनाओं और सम्पूर्ण जीवन की दिशा को बदला जा सकता हैं। “योग-निद्रा” पर किए जा रहे अध्ययनों के नतीजे जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, इसकी विश्वव्यापी स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। सवासन में इस क्रिया को अंजाम देना बेहद आसान है। इसके लिए ऑनलाइन या बाजार में सीडी उपलब्ध है। वैसे, योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन में योगाभ्यास सर्वथा बेहतर होता है।

 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और दो दशकों पर योग विज्ञान पर लेखन कर रहे हैं)

 

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